
“तन्हा पोला” विदर्भ क्षेत्र की एक अनोखी परंपरा है। बच्चो को बैलों का महत्व बताने के लिए नागपुर के दूसरे शासक राजा रघुजी महाराज भोसले के द्वारा इस त्योहार की शुरूआत की गई थी। विदर्भ के कुछ क्षेत्रो मे पोला पड़वा के दिन बच्चो को लकड़ी का बैल बनवाकर तन्हा पोला का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के की सुंदर लकड़ियों से आकर्षक नंदी बैल बनाए जाते है। तन्हा पोला मनाने की परंपरा लगभग 218 साल पुरानी है। इसकी शुरुआत राजा रघुजी भोसले द्वितीय ने छोटे बच्चो को बैलो के प्रति प्रेम उत्पन्न करने के मकसद से किया था। सांस्कृतिक परंपराओ से समृद्ध तन्हा पोला विदर्भ का एक विशेष त्योहार है। खासकर नागपुर एवं पूर्वी विदर्भ क्षेत्रो मे पोला का त्योहार विशेष तरीके से मनाया जाता है।तन्हा पोला मे लकड़ी से बने हुए बैलो की परेड की जाती है। लकड़ी से बने बैलो की बिक्री के कारण इस त्योहार मे लाखो परिवार को रोजगार भी इस अवसर पर मिल जाता है।